Dr. ROY MEDICAL HALL
Jaffer Khan Colony | Calicut | Kerala | IndiaSexologist Doctor - Sexology Clinic
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Dr. Shabeer Ahanmed Roy
Mrs. Sabiya Roy
अभ्यास कर रहे परम्परागत यूनानी चिकित्सकों के कुलीन परिवार में जन्मे और पले-बढ़े डॉ.शबीर अहमद रॉय (एस. ए. रॉय) के पास चार दशकों के यूनानी चिकित्सा अभ्यास की मजबूत पृष्ठभूमि है। वे एक शानदान पिता डॉ. हकीम मोहम्मद शरीफ रॉय के यशस्वी पुत्र हैं, जो कि अपने समय के बेहद प्रसिद्ध चिकित्सक थे। डॉ.एस.ए.रॉय ने यूनानी को अपनी जीवन शैली बना लेने के अपने पिता के उपचार मंत्र की परंपरा को कायम रखा है।
जब उन्होने प्रमाणिक यूनानी चिकित्सा का अभ्यास शुरु किया तो उन्होने पाया कि यूनानी उतनी सरल नही है जितना लोग समझते हैं। उनके जिज्ञासु मन और गहरे ज्ञान के लिये खोज की उनकी इच्छा ने उनको यूनानी के बारे में ज्ञान का एक उत्साही साधक बनाया। उन्होने अपना शोध कार्य शुरुआती युवावस्था में प्रारंभ कर दिया था। वे रोगियों, रोगों और गहराई से उपचार की जटिलताओं को समझने से होकर गुजरे और उन्होने यूनानी चिकित्सा प्रणाली के प्रति प्रेम के कारण इसके अभ्यास का निर्णय लिया। उन्होने कभी भी उपचार को पैसे कमाने का जरिया नहीं समझा; और हर नये मामले ने उनको कीमती अनुभव दिया जो किसी भी अन्य संपत्ति की अपेक्षा सदा उनके साथ रहने वाला है।
उनको महसूस हुआ कि रोगियों के लिये बाजार में उपलब्ध दवाओं की खराब गुणवत्ता, सही परिणाम की प्रमुख बाधाओं में से एक है। वे अपने रोगियों के लिये इसमें परिवर्तन चाहते थे। अपनी पत्नी साबिया रॉयकी मदद से, उन्होने शुद्ध यूनानी दवाओं के उत्पादन पर अपना शोध शुरु किया। जब रॉय शुद्ध यूनानी दवाओं को विशुद्ध रूप से यूनानी विधि के अनुसार विकसित करने में सफल हुये तो यह एक क्रांति जैसा था क्योंकि परिणाम अनुकरणीय थे।
तब भी, वे रोगियों को ढ़ूंढ़ने के लिये इधर-उधर नहीं भाग रहे थे, बल्कि संतुष्ट और खुश रोगियों के के कारण मिली प्रसिद्धि से पूरे उत्तरी केरल से रोगी उनके पास आने लगे। जब उनका नाम केरल से बाहर विख्यात होने लगा तो, अप्रवासी केरलवासी और अरब तथा अन्य विदेशी, दिशानिर्देश व सलाह के लिये उन तक आने लगे। अब वे उपचार की गुणवत्ता और दवाओं की प्रामाणिकता पर समझौता किये बिना, पूरे गोलार्ध में सेवा कर रहे हैं।
वे यूनानी पद्धति की चिकित्सा में वेबसाइट शुरु करने वाले पहले व्यक्ति हैं। इसके पश्चात, काफी धन खर्च करके उन्होने इसका स्थानीय भाषा में अनुवाद कराया जिससे कि उन रोगियों की बड़ी संख्या को लाभ मिल सके जो स्थानीय भाषा के साथ सहज हैं। यूनानी पद्धति की चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिये, उन्होने कई पुस्तिकायें और पेपर भी प्रकाशित कराये। तकनीक के प्रेमी डॉ. रॉय ने युवाओं को यह समझाने के लिये किये जा रहे प्रयासों में प्रमुख भूमिका निभायी है कि अन्य चिकित्सा पद्धतियों के लाभों की तुलना में यूनानी चिकित्सा पद्धति से क्या लाभ हैं। अब उनके पास ऐसे उच्च शिक्षित युवाओं की एक बहुत बड़ी संख्या है जो उनसे दिशानिर्देश और उपचार के लिये ऑनलाइन व ऑफलाइन संपर्क करते हैं।
यूनानी चिकित्सा पद्धति के प्रति उनके लगाव और समर्पण ने उनके बच्चों को प्रेरित किया और तीनो अपने पिता की राह पर चल रहे हैं। बड़ी बेटी डॉ. नीलोफर रॉय ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एण्ड रिसर्च, बैंगलोर से आयुर्वेद में अपनी BAMS डिग्री प्राप्त की और अब पोस्ट ग्रैजुएशन के लिये तैयारी कर रही है। छोटा बेटा डॉ. नियाज़ अहमद रॉय और छोटी बेटी डॉ. निषाद रॉय ने यूनानी का चुनाव किया और बैंगलोर के गवर्नमेंट यूनानी मेडिकल कॉलेज ऑफ बैंगलोर से BUMS की डिग्री प्राप्त की।
वास्तविक यूनानी चिकित्सा पद्धति के अभ्यास और बढ़ावा देने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये उनको विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक मंचों द्वारा विभिन्न अवसरों पर सम्मानित किया गया है। चिकित्सा बिरादरी ने भी उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान की और भारत के भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने उनको 'सर्वश्रेष्ठ यूनानी चिकित्सक' के लिये प्रतिष्ठित 'हकीम अजमल खान स्मारक वैश्विक पुरस्कार' प्रदान किया। किसी भी पुरस्कार या सम्मान ने उनको अभिमानी नहीं बनाया, बल्कि वे इनको पीड़ित रोगियों की सेवा करने का बेहतर तरीका मानते हैं।
यूनानी चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने और अभ्यास करने की उनकी प्रतिबद्धता और कहानी कई पीढ़ियों को याद रहेगी और भविष्य के चिकित्सकों को प्रेरित करेगी।
हकीम अजमल खान स्मारक सोसाइटी को तिब्बिया कॉलेज ऑफ आयुर्वेदिक एण्ड यूनानी, करोल बाग, नई दिल्ली की जमीन पर 1989 में स्थापित किया गया था। यह संस्थान स्वर्गीय हकीम अजमल खान साहिब द्वारा स्थापित किया गया था और हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। यह दुनिया का अकेला ऐसा संस्थान है जहां पर आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा पद्धति को एक ही छत के नीचे, एक साथ पढ़ाया जाता है।
स्वर्गीय हकीम अजमल खान साहिब यूनानी चिकित्सा पद्धति के उत्कृष्ट विद्वान एवं चिकित्सक थे। वे दिल्ली शहर के एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे जिनका कुलीनता, व्यवहार और चमत्कारी उपचारों के लिये आदर किया जाता था। वे अपने समय की बहुमुखी प्रतिभा, बहुप्रशंसित चिकित्सक, राष्ट्रीय स्तर के राजनेता, महान भावनाओं के कवि, सुधारक तथा वक्ता थे।
आयुर्वेद, यूनानी तथा अन्य वैकल्पिक उपचार पद्धतियों के एक हजार से अधिक चिकित्सक, हकीम अजमल खान स्मारक सोसाइटी के सदस्य हैं। सोसाइटी का मुख्य सिद्धांत, उपचार की भारतीय विधियों विशेष रूप से यूनानी व आयुर्वेद प्रणाली को प्रोत्साहन देना है।
हकीम अजमल खान स्मारक सोसाइटी
हकीम अजमल खान स्मारक सोसाइटी काफी पहले से आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा पद्धति से संबंधित समस्याओं को संबोधित करती है और इसने सरकारी अधिकारियों को समय-समय पर कई प्रतिवेदन प्रस्तुत किये हैं। जब ISM के छात्र, शिक्षक या डॉक्टर किसी समस्या का सामना करते हैं तो सोसाइटी उनके मामलों को सरकारी अधिकारियों के प्रस्तुत करती है तथा उनका प्रतिनिधित्व करती है। सोसाइटी, अन्य मेडिकल संगठनों और संस्थाओं के साथ मिलकर सभी सेमीनार व फ़ंक्शन आयोजित करती है।
विभिन्न केन्द्रीय व राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, मंत्री और अधिकारी, सोसाइटी के कार्यक्रमों में निरपवाद रूप से भाग लेते रहते हैं।
यह संगठन एक अलाभकारी संगठन है और सरकार से किसी भी तरह की सहायता नहीं लेता है। 1995 में सोसाइटी ने ISM के क्षेत्र में, ऑल इंडिया हकीम अजमल खान पुरस्कार की शुरुआत की। सोसाइटी के शासी निकाय ने ऑल इंडिया हकीम अजमल खान कमेटी का संगठन किया जिसके अध्यक्ष विख्यात यूनानी चिकित्सक तथा भारत सरकार के अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. एम.एस.उस्मानी हैं तथा इसके सदस्यों में आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
सोसाइटी के पुरस्कार भारत तथा विदेशों के पिछले 10 वर्षों के विख्यात आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सकों को प्रदान किये गये। सम्मानित लोगों में से कुछ निम्नलिखित हैं
वैद्य नानक चन्द्र शर्मा
वैद्य देवेन्द्र त्रिगुण
डॉ.मार्क हेल्पर
डॉ.मारूफ अथीक
वैद्य कुमार स्वामीजी महाराज
वैद्य प्रताप चौहान
वैद्य हरीश वर्मा
डॉ शबीर अहमद रॉय
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में, भारत के राष्ट्रपति महामहिम डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को, विख्यात यूनानी चिकित्सक व संस्थापक महासचिव (HAKMS) डॉ.असलम जावेद ने हकीम अजमल खान साहिब पर एक पुस्तक भेंट की।
1995 तथा 1996 में ऑल इंडिया हकीम अजमल खान पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.शंकर दयाल शर्मा द्वारा दिये गये थे।
1997 तथा 1998 में इन पुरस्कारों को दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित द्वारा प्रदान किया गया था।
1999 व 2000 में ये पुरस्कार राज्यसभा की तत्कालीन उपसभापति तथा विश्व पार्लियामेंट संगठन की अध्यक्षा श्रीमती नजमा हेपतुल्ला द्वारा प्रदान किये गये थे।
2003, 2004 तथा 2005 में ये पुरस्कार भारत सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अम्बुमनि रामदॉस द्वारा प्रदान किये गये थे।
2006 में इन पुरस्कारों को वैश्विक रूप से स्थापित किया गया क्योंकि इस समय से अन्य देशों के चिकित्सकों के नाम पर भी इन पुरस्कारों के लिये विचार किया जाने लगा।
डॉ.एस.ए.रॉय को 2006 में हजार से अधिक चिकित्सकों में से 'सर्वश्रेष्ठ यूनानी चिकित्सक' का प्रतिष्ठित अजमल खान वैश्विक पुरस्कार देने के लिये चुना गया था जिसको दिल्ली में आयोजित किये गये एक शानदार समारोह में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.योगान्नद शास्त्री द्वारा प्रदान किया गया था।
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Receiving an international award for the Best Unani Physician at the First International Conference on UNANIPATHY and Complimentary Medicine held in Dubai on 11th June 2012.
The people of Malabar celebrated the great achievement of their favourite Unani Physician Dr. Shabeer Ahamed Roy
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